“5 हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी मिस्टेक्स जो आपको तुरंत चेक करनी चाहिए”

allroundcontent
9 Min Read

1. रूम रेंट कैपिंग: आपकी पॉलिसी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू

रूम रेंट कैपिंग क्यों जरूरी है?

हॉस्पिटल में भर्ती के समय कमरे का किराया पॉलिसी की सीमा से अधिक होने पर आपको अपनी जेब से अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब आपके मेडिकल टेस्ट्स, डॉक्टर विजिट्स, और अन्य सेवाओं का खर्च रूम रेंट के अनुपात में कम हो जाता है।

Contents
1. रूम रेंट कैपिंग: आपकी पॉलिसी का सबसे महत्वपूर्ण पहलूरूम रेंट कैपिंग क्यों जरूरी है?क्या जांचें?कैसे बचें?2. सब-लिमिट्स: आपकी पॉलिसी का छिपा हुआ खतरासब-लिमिट्स कैसे नुकसान पहुंचाती हैं?क्या जांचें?कैसे बचें?3. मॉडर्न ट्रीटमेंट कवरेज: नई तकनीकों का महत्वमॉडर्न ट्रीटमेंट क्यों जरूरी है?क्या जांचें?कैसे बचें?4. को-पे क्लॉज: प्रीमियम बचाने के चक्कर में नुकसानको-पे क्लॉज कैसे काम करता है?क्या जांचें?कैसे बचें?5. कैशलेस ट्रीटमेंट नेटवर्क: क्लेम का सबसे आसान तरीकाकैशलेस ट्रीटमेंट क्यों जरूरी है?क्या जांचें?कैसे बचें?हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के दौरान अतिरिक्त सावधानियां*प्रेग्नेंसी और हेल्थ इंश्योरेंस(Pregancy or Health Insurance): क्या जानना जरूरी है?प्रेग्नेंसी कवरेज क्या है?प्रेग्नेंसी कवरेज के महत्वपूर्ण पहलू1. वेटिंग पीरियड (Waiting Period)2. डिलीवरी का प्रकार (Normal vs C-Section)3. मेडिकल जटिलताएं (Complications During Pregnancy)4. मैटरनिटी बेनिफिट्स (Maternity Benefits)5. नवजात कवरेज (Newborn Coverage)मैटरनिटी कवरेज(Maternity Coverage) के लिए विशेष टिप्सप्रेग्नेंसी कवरेज के फायदेरेफरेंस लिंक:Other Links :निष्कर्ष

क्या जांचें?

  • रूम रेंट कैपिंग की सीमा (₹5000, ₹10,000 या अनलिमिटेड)।
  • आईसीयू और प्राइवेट रूम के किराए पर कोई अलग शर्त तो नहीं।

कैसे बचें?

हमेशा ऐसी पॉलिसी खरीदें जिसमें रूम रेंट की कोई सीमा न हो। अगर लिमिट है, तो उसे अपनी जरूरत के हिसाब से बढ़वा लें।

उदाहरण:
अगर आपकी पॉलिसी में ₹5000 प्रति दिन की रूम रेंट लिमिट है, और आप ₹10,000 वाले कमरे में भर्ती होते हैं, तो आधा खर्च आपको खुद वहन करना पड़ेगा।


2. सब-लिमिट्स: आपकी पॉलिसी का छिपा हुआ खतरा

सब-लिमिट्स कैसे नुकसान पहुंचाती हैं?

कई हेल्थ पॉलिसी में कुछ बीमारियों पर अलग से सीमा तय होती है। यह सीमा आपके सम इंश्योर्ड से कम होती है, जिससे बड़े इलाज में आपको आर्थिक दिक्कत हो सकती है।

उदाहरण:
अगर आपके पास ₹10 लाख की पॉलिसी है, लेकिन हार्ट सर्जरी के लिए केवल ₹1 लाख की सब-लिमिट है, तो आपको बाकी ₹9 लाख खुद वहन करने होंगे।

क्या जांचें?

  • कौन-कौन सी बीमारियां सब-लिमिट के तहत आती हैं।
  • कैटरेक्ट, हार्ट सर्जरी, और मैटरनिटी जैसे खर्चों पर क्या सीमा है।

कैसे बचें?

पॉलिसी लेते समय सब-लिमिट्स को विस्तार से पढ़ें और कम से कम सब-लिमिट वाली पॉलिसी चुनें।


3. मॉडर्न ट्रीटमेंट कवरेज: नई तकनीकों का महत्व

मॉडर्न ट्रीटमेंट क्यों जरूरी है?

आजकल एडवांस ट्रीटमेंट्स जैसे रोबोटिक सर्जरी, इम्यूनोथेरेपी, और जेनेटिक डिसऑर्डर्स का इलाज पारंपरिक पॉलिसी में कवर नहीं होता। इससे आपको लाखों का खर्च खुद उठाना पड़ सकता है।

क्या जांचें?

  • लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी कवर है या नहीं।
  • जेनेटिक बीमारियों और अन्य नई प्रक्रियाओं पर कवरेज है।

कैसे बचें?

नई पॉलिसी लेते समय यह सुनिश्चित करें कि मॉडर्न ट्रीटमेंट्स कवर हों। पुरानी पॉलिसी हो तो इसे अपग्रेड करें।


4. को-पे क्लॉज: प्रीमियम बचाने के चक्कर में नुकसान

को-पे क्लॉज कैसे काम करता है?

को-पे क्लॉज के तहत आपको हर क्लेम का कुछ प्रतिशत खुद देना होता है। यह क्लॉज प्रीमियम कम करने के लिए जोड़ा जाता है, लेकिन क्लेम के समय बड़ा नुकसान करता है।

उदाहरण:
20% को-पे क्लॉज के तहत ₹1 लाख के क्लेम पर आपको ₹20,000 अपनी जेब से देना होगा।

क्या जांचें?

  • आपकी पॉलिसी में को-पे का प्रतिशत क्या है।
  • क्या यह हर क्लेम पर लागू होता है।

कैसे बचें?

हमेशा ऐसी पॉलिसी चुनें जिसमें को-पे क्लॉज न हो। अगर है तो इसे कम करवाने की कोशिश करें।


5. कैशलेस ट्रीटमेंट नेटवर्क: क्लेम का सबसे आसान तरीका

कैशलेस ट्रीटमेंट क्यों जरूरी है?

कैशलेस ट्रीटमेंट का मतलब है कि हॉस्पिटल का खर्च इंश्योरेंस कंपनी द्वारा सीधे भुगतान किया जाएगा। अगर आपका हॉस्पिटल पॉलिसी के नेटवर्क में नहीं है, तो आपको पहले पैसे देकर बाद में क्लेम करना होगा।

क्या जांचें?

  • आपके शहर के प्रमुख हॉस्पिटल नेटवर्क में हैं या नहीं।
  • पास के बड़े शहरों के प्रमुख हॉस्पिटल कवर हैं या नहीं।

कैसे बचें?

पॉलिसी खरीदते समय नेटवर्क हॉस्पिटल की सूची जांचें और सुनिश्चित करें कि आपके क्षेत्र के प्रमुख हॉस्पिटल इसमें शामिल हैं।


हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के दौरान अतिरिक्त सावधानियां

  1. क्लेम सेटलमेंट रेशियो: इंश्योरेंस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेट 95% या उससे अधिक हो।
  2. एक्सक्लूजन: पॉलिसी में शामिल न किए गए बिंदुओं को ध्यान से पढ़ें।
  3. अतिरिक्त बेनिफिट्स: प्री और पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन का कवरेज देखें।

*प्रेग्नेंसी और हेल्थ इंश्योरेंस(Pregancy or Health Insurance): क्या जानना जरूरी है?

प्रेग्नेंसी कवरेज क्या है?

हेल्थ इंश्योरेंस में प्रेग्नेंसी कवरेज का मतलब है कि पॉलिसी डिलीवरी, प्रे और पोस्ट-नेटल खर्च, और किसी भी जटिलता से जुड़े मेडिकल खर्च को कवर करती है। हालांकि, हर पॉलिसी में यह सुविधा नहीं होती, और कुछ में वेटिंग पीरियड और सीमाएं होती हैं।


प्रेग्नेंसी कवरेज के महत्वपूर्ण पहलू

1. वेटिंग पीरियड (Waiting Period)

  • क्या है: अधिकांश हेल्थ पॉलिसी में प्रेग्नेंसी कवरेज के लिए 9 महीने से लेकर 3 साल तक का वेटिंग पीरियड होता है।
  • क्यों जरूरी: इसका मतलब है कि पॉलिसी लेने के तुरंत बाद आप क्लेम नहीं कर सकते।
  • कैसे बचें: अगर आपको जल्द प्रेग्नेंसी की योजना है, तो ऐसी पॉलिसी लें जिसमें वेटिंग पीरियड कम हो।

2. डिलीवरी का प्रकार (Normal vs C-Section)

  • नॉर्मल डिलीवरी: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में नॉर्मल डिलीवरी का खर्च आमतौर पर कवर होता है।
  • C-सेक्शन डिलीवरी: कुछ पॉलिसीज में C-सेक्शन के लिए अलग से सब-लिमिट होती है।
  • टिप: सुनिश्चित करें कि आपकी पॉलिसी दोनों प्रकार की डिलीवरी के लिए उचित कवरेज दे रही है।

3. मेडिकल जटिलताएं (Complications During Pregnancy)

  • क्या कवर होता है: कुछ पॉलिसी प्रेग्नेंसी से जुड़ी जटिलताओं जैसे हाई ब्लड प्रेशर, गर्भपात, या प्रीमेच्योर डिलीवरी का खर्च भी कवर करती हैं।
  • कैसे जांचें: पॉलिसी में प्रेग्नेंसी से संबंधित एक्सक्लूजन और कवरेज को विस्तार से पढ़ें।

4. मैटरनिटी बेनिफिट्स (Maternity Benefits)

  • क्या शामिल होता है:
    • हॉस्पिटल में भर्ती का खर्च।
    • डिलीवरी के बाद मां और बच्चे का बेसिक मेडिकल चेकअप।
    • नवजात शिशु का मेडिकल खर्च।
  • कैसे चुनें: मैटरनिटी बेनिफिट्स के लिए पॉलिसी लेते समय इसकी सीमा और एक्सक्लूजन जांचें।

5. नवजात कवरेज (Newborn Coverage)

  • क्या होता है: कुछ पॉलिसी नवजात बच्चे के टीकाकरण, चेकअप, और किसी भी मेडिकल इमरजेंसी का खर्च भी कवर करती हैं।
  • टिप: ऐसी पॉलिसी का चयन करें जो बच्चे के जन्म के पहले कुछ महीनों तक का खर्च उठाए।

मैटरनिटी कवरेज(Maternity Coverage) के लिए विशेष टिप्स

  1. सम इंश्योर्ड बढ़ाएं: कम सम इंश्योर्ड वाली पॉलिसी प्रेग्नेंसी और डिलीवरी का खर्च पूरी तरह से कवर नहीं कर सकती। ₹10 लाख से ऊपर की पॉलिसी का चयन करें।
  2. पॉलिसी की शर्तें समझें: हर पॉलिसी में प्रेग्नेंसी कवरेज की अलग-अलग शर्तें होती हैं। खरीदने से पहले हर डिटेल जांच लें।
  3. टॉप-अप प्लान: अगर आपकी मौजूदा पॉलिसी में प्रेग्नेंसी कवरेज नहीं है, तो आप टॉप-अप प्लान खरीद सकते हैं।
  4. एंप्लॉयर-प्रोवाइडेड पॉलिसी: अगर आपके पास कंपनी द्वारा दी गई पॉलिसी है, तो उसमें मैटरनिटी कवरेज शामिल हो सकता है। इसकी शर्तें समझना जरूरी है।

प्रेग्नेंसी कवरेज के फायदे

  1. आर्थिक सुरक्षा: डिलीवरी और उससे जुड़े खर्च काफी अधिक हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी कवरेज आपको आर्थिक सुरक्षा देता है।
  2. मेडिकल जटिलताओं का कवरेज: जटिलताओं के इलाज का खर्च उठाने में मदद करता है।
  3. नवजात की सुरक्षा: बच्चे की शुरुआती मेडिकल जरूरतों को कवर करता है।

प्रेग्नेंसी कवरेज एक लंबी अवधि की योजना का हिस्सा है। अगर आप परिवार बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, तो समय पर सही हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का चयन करें। ऐसी पॉलिसी चुनें जिसमें वेटिंग पीरियड कम हो, डिलीवरी के प्रकार और नवजात के खर्च पर सीमाएं न हों।

रेफरेंस लिंक:

  1. हेल्थ इंश्योरेंस क्यों जरूरी है
  2. कैसे सही पॉलिसी चुनें
  1. पॉलिसी बाजार
  2. IRDAI हेल्थ इंश्योरेंस गाइडलाइन्स

निष्कर्ष

सही हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का चयन और समझदारी से उसकी जांच करना जरूरी है। इन 5 प्रमुख बिंदुओं का ध्यान रखकर आप न केवल एक अच्छी पॉलिसी खरीद सकते हैं, बल्कि क्लेम के समय किसी भी परेशानी से बच सकते हैं।

अपने सवाल और अनुभव नीचे कमेंट में शेयर करें। यह जानकारी आपके परिवार और दोस्तों के साथ साझा करें ताकि वे भी सही पॉलिसी चुन सकें।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *